रविवार, 25 जुलाई 2010

तुम मिले


तुम मुझे मिले

अचानक से तो

जाने कब के देखे

ख्वाब दिल की

गलियों से निकल कर

आंखों के सामने लहराने लगे।

बगैर ये मालूम किये

कि तुम

मेरी नहीं किसी और

के सपनों की दुनिया को

अपने साथ सजाने के लिये

सिर्फ़ मेरा साथ

भर मांगने आये थे।


और मैं अवाक सी

होकर तुम्हें भावशून्य

नजरों से यूं देखने लगी

मानो मेरे सामने कोई

दीवार खड़ी है

और तुम भी मुझे

इस तरह देखता देखकर

चले गये यूं

मानो तुम्हारा उत्तर

तुम्हें मिल गया।

और फ़िर मैं भी

पागलों की तरह

आसमान को यूं ही

देखने लगी जैसे

मेरे सारे अरमान

उसी आसमां में

बादलों के साथ

उमड़ घुमड़ कर

यूं गायब हुये

जैसे जलते तवे पर

किसी ने पानी के

छींटे मारे हो

और उसका अस्तित्व

तुरंत मिट गया हो।

000

पूनम

42 टिप्‍पणियां:

hem pandey ने कहा…

मेरे सारे अरमान

उसी आसमां में

बादलों के साथ

उमड़ घुमड़ कर

यूं गायब हुये

जैसे जलते तवे पर

किसी ने पानी के
छींटे मारे हो

-सुन्दर.

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत ही सुन्‍दर शब्‍दों....बेहतरीन भाव....खूबसूरत कविता...

संजय भास्‍कर ने कहा…

"माफ़ी"--बहुत दिनों से आपकी पोस्ट न पढ पाने के लिए ...

अजय कुमार ने कहा…

सुंदर अभिव्यक्ति ।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

मेरे सारे अरमान
उसी आसमां में
बादलों के साथ
उमड़ घुमड़ कर
यूं गायब हुये
जैसे जलते तवे पर
किसी ने पानी के
छींटे मारे हो ...

सच कहा ... किसी की बेवफ़ाई से क्या क्या हो सकता है ... दिल के जज्बातों को बाखूबी लिखा है ....

M VERMA ने कहा…

कितना सामयिक है यह रचना
बादलो के साथ अरमानो का गायब होना
बहुत खूब

vandana gupta ने कहा…

बेहतरीन भावाव्यक्ति।
कल (26/7/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट देखियेगा।
http://charchamanch.blogspot.com

कविता रावत ने कहा…

मेरे सारे अरमान आसमां में बादलों के साथ उमड़ घुमड़ कर यूं गायब हुये जैसे जलते तवे पर किसी ने पानी के छींटे मारे हो और उसका अस्तित्व तुरंत मिट गया हो।
.....dil mein umadti-ghumadti vyatha ka bhavpurn chitran...
Marmsparshi rachna

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

मानवीय भावों को प्राकृतिक प्रतीकों से सुन्दर ढंग से व्यक्त किया है।

Udan Tashtari ने कहा…

यूं गायब हुये

जैसे जलते तवे पर

किसी ने पानी के

छींटे मारे हो

और उसका अस्तित्व

तुरंत मिट गया हो।


--बहुत जबरदस्त!! गजब!

रश्मि प्रभा... ने कहा…

खामोश सा दर्द और अनचाही सज़ा !

रचना दीक्षित ने कहा…

" यूं गायब हुये जैसे जलते तवे पर किसी ने पानी के छींटे मारे हो और उसका अस्तित्व तुरंत मिट गया हो।"
सुन्दर भाव बेहतरीन शब्द संयोजन.जीवन के सत्य का एक पहलू. बेहतरीन अभिव्यक्ति

राजेश उत्‍साही ने कहा…

पूनम जी बहुत सुंदर भाव हैं। पर मुझे ऐसा लगता है कि यह एक नहीं दो कविताएं हैं। आपकी कविता का पहला भाग वहां समाप्‍त हो जाता है जहां आप कहती हैं तुम्‍हारा उत्‍तर तुम्‍हें मिल गया।

मनोज कुमार ने कहा…

अच्छी प्रस्तुति।

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति के साथ... सुंदर रचना...

सूबेदार ने कहा…

कबिता बहुत ही गहराई लिए हुए है.
अति सुन्दर
धन्यवाद

Ravi Rajbhar ने कहा…

Wah bahut sunder...!
antim laine hi kavita ki jaan hain!
baki kavita aur uske bhav done badut achchhe hain!

Avinash Chandra ने कहा…

जैसे जलते तवे पर

किसी ने पानी के

छींटे मारे हो

और उसका अस्तित्व

तुरंत मिट गया हो।

khubsurat

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

जैसे जलते तवे पर
किसी ने पानी के
छींटे मारे हो
और उसका अस्तित्व
तुरंत मिट गया हो।

अति सुन्दर !

sandhyagupta ने कहा…

Atyant bhavpurn aur bimbon ka bahut sundar prayog.badhai.

Alpana Verma ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Alpana Verma ने कहा…

मन के भावों की खूबसूरत अभिव्यक्ति .
बहुत अच्छी कविता है.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

अंतिम पंक्तियाँ बहुत प्रभावशाली ...खूबसूरत अभिव्यक्ति

हास्यफुहार ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति।

Parul kanani ने कहा…

bahut hi manbhawan panktiyaan hai!
badhai!!

The Straight path ने कहा…

बहुत ही सुन्‍दर...

वाणी गीत ने कहा…

कि तुम मेरी नहीं किसी और के सपनों की दुनिया को अपने साथ सजाने के लिये सिर्फ़ मेरा साथ भर मांगने आये थे..
यूँ आना और चला जाना कि नजरें बस पीठ पर ही टिकी रहे ...

सुन्दर भावाभिव्यक्ति ...!

सुशीला पुरी ने कहा…

भावुकता मे डूबकर लिखा आपने .........

daanish ने कहा…

mn meiN kaheeN
gehre utar jaane waali

bhaavpoorn rachnaa

अरुणेश मिश्र ने कहा…

पूनम जी . कविता विलक्षण है ।
प्रशंसनीय ।

Urmi ने कहा…

बहुत ही ख़ूबसूरत और उम्दा रचना लिखा है आपने! बधाई!

Deepak Shukla ने कहा…

hi..

jo man se tera na tha..
wo tera kaise hoga...
sang raha ho wo beshak par...
saath nahin tere hoga...

Deepak

Deepak Shukla ने कहा…

samay mile to mere blog par bhi darshan den kabhi...

www.deepakjyoti.blogspot.com

Deepak

shyam1950 ने कहा…

इस सुन्दर भावाभिव्यक्ति से परिपूर्ण रचना को कुछ और तराश की जरूरत थी

Unknown ने कहा…

i liked it..?

अंजना ने कहा…

खूबसूरत रचना ...

Apanatva ने कहा…

यूं गायब हुये
जैसे जलते तवे पर
किसी ने पानी के
छींटे मारे हो ...
ye panktiya bahut kuch kah gayee .......
sunder lekhan .

मोना परसाई ने कहा…

मेरी नहीं किसी और

के सपनों की दुनिया को

अपने साथ सजाने के लिये

सिर्फ़ मेरा साथ

भर मांगने आये थे।.....बहुत सुन्दर पंग्तियाँ पूनम जी .

बेनामी ने कहा…

bahut hi achhi aur rochak rachna...
badhai....

Parul kanani ने कहा…

bahut bahut shukriya aapka ki aap ne mujhe itna appericiate kiya hai..thanx again :)

Mrinal's ने कहा…

आपने तो बिलकुल मेरी दिल की हालत शब्दों में बयां कर दी है.

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

ख्वाब दिल की
गलियों से निकल कर
आंखों के सामने लहराने लगे।

बहुत सुंदर...