शनिवार, 6 दिसंबर 2008

मौत के साए में


मौत के साये में
जिंदगी कर रही सफर
जी रही है जिंदगी
हर वक्त डर डर कर.

पल में जाने क्या हो जाए
किसको है ख़बर
गूँज धमाकों की
उठी भी तो सहमकर
कहीं बरसती गोलियां
जवानों पे गरज कर.

जर्रा जर्रा देश का
कांपता थर थर
दहशत से फैलीं ऑंखें
देख ये मंजर.

साँस लेती जिंदगी
बस एक आस पर
ख़त्म होगा इंतजार
जीत होगी मौत पर.

फ़िर चल पड़ेगा कारवां
एक जुट होकर
सपने सजेंगे आंखों में
मुस्कराहट होठों पर.
०००००००००००
पूनम


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